मेरे सभी पाठकों के लिए डॉक्टर दिवस पर एक प्रस्तुति |
इस कविता को लिखने के एक नहीं अपितु २ कारन है |
सर्वप्रथम यह की यदि ये शूरवीर हमारे स्वास्थ के लिए स्वयं को विषम परिस्थिति में ना डालें तो परिणाम अत्यंत भयावह हो सकते थे|
द्वितीय यह की भारत के कई हिस्सों से इनके प्रति हिंसा के समाचार आते रहे हैं| यह विडम्बना है की सहायता करने वाले ये कर्मयोगी हिंसा के पात्र बन रहें हैं |
इस कविता क माध्यम से जहाँ एक ओर हम अपना आभार प्रकट करते हैं वही दूसरी ओर हम एक सन्देश भेजते हैं , एक निवेदन करते हैं की आप सभी सर्कार एवं प्रशासन को अपना काम करने में सहयोग करें |
वायरस को भगाओ
नर्सों और डॉक्टरों को नहीं |
कोरोना को डराओ |
सहयोगी हाथों को नहीं |
माँ , बाप, बहन, भाई, बच्चे|
छोड़कर जो आगे आये हैं |
हमको जीवन दान मिले |
अपना जीवन दांव पर लगाए हैं |
देवदूत बनकर जो कर्मयोगी |
आगे आए हैं |
आओ मिलकर उनके ,
प्रयासों को सफ़ल बनाएं |
आज डॉक्टर दिवस पर ,
कोरोना को भगाने में उनका साथ निभाएं |
यदि आप लोगों को मेरी रचनाएँ रुचिकर लगती है तो कृपया मेरे ब्लॉग के लिंक को बुकमार्क कर लें |
आइये हम सब मिलकर इस लॉकडाउन में नयी रूचि का अनुसरण करें और पुनः पुस्तकों की और चलें |
स्वास्थ के दृष्टिकोण से भी यह फलदायी है क्यूंकि आज के समय में सब लोगों का स्क्रीनटाइम बहुत बढ़ गया है जिससे चक्षुजयोति क्षीण होती है |
साथ ही नीली रौशनी(जो आपके इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से निकलती है) से आपके सोने और जागने के समय पर भी प्रभाव पड़ता है |
मैं आप सभी के साथ इस ब्लॉग में कुछ अन्य पुस्तकों के लिंक संलग्न कर रही हूँ|
आप चाहें तो इनमे से कोई भी पुस्तक का चयन एवं क्रय कर सकतें हैं |
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आप
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अनेक आभार |