जबसे आँखें खुलीं , गतिमान सब देखा
बदल गयी आज ज़माने की रूपरेखा |
समय कुछ नहीं कर पाया , प्रकृति ना नदियां
मनुष्य रुका , नदिया गतिमान समय चलता रहा |
प्रकृति की घुटन कम हुई
नयी सांस का हुआ संचार |
आगे भी हम रख पाएंगे
क्या ये नया संसार ?
आदतों में क्या कोई बदलाव होगा ?
या इससे भी बड़ी बीमारी से साक्षात्कार होगा |
Keep it up,Keep Inspiring😇
ReplyDelete